गोविंद सिंह ने अपने जीवन के 18 व र्ष करतारपुर साहिब में गुरुद्वारे के ग्रंथी के तौर पर गुज़ारे हैं. तीर्थस्थल की पहली मंज़िल पर बने एक बड़े हॉल में अकेले बैठकर गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ कर रहे हैं, कमरे की खास सजावट की गई है. यह हॉल आम तौर पर तीर्थयात्रियों से खचाखच भरा रहता है, लेकिन जब से यहां करतारपु र साहेब कॉरिडोर के निर्माण का काम चल रहा है, इसे तीर्थयात्रियों के लिए बंद कर दिया गया है. अपना पाठ पूरा करने के बाद गोविंद सिं ह कमरे से बाहर निकले और एक खिड़की से बाहर देखने लगे. वे पिछले कुछ महीनों की गतिविधियों को देखकर हैरत में हैं. वे कहते हैं, "करीब एक साल पहले यह जगह अलग-थलग थी, हमसे मीडिया के लोग कभी बात नहीं करते थे , तब सब कुछ बहुत शांत था." आज दर्ज़नों ट्रक, क्रेन और डंपर पूरे इलाके में काम में जुटे हुए हैं . इमारत के चारों ओर की ज़मीन खोद दी गई है, सामने कीच ड़ से भरी एक सड़क है जिसे प क्का बनाने का काम चल रहा है. वे कहते हैं, "हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि यह सरहद खुलेगी, यह तो चमत्कार है." इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के मौ...